The Hidden Risks in Third Party Policy : Safeguarding Your Future I Third Party Policy ko 10 minute me samjhte hain.

Third party Policy

Ye Post Third Party policy ke upper hai.

सबसे पहले समझते हैं कि थर्ड पार्टी बीमा (Third-Party Policy) क्या है और हर कार मालिक को इसके बारे में क्यों जानना चाहिए?

थर्ड पार्टी (टीपी)बीमा पॉलिसी (Third-Party Policy)क्या है:

पहले हम जान लेते है की थर्ड पार्टी पालिसी क्या होता है और निचे हम समझते हैं कि क्यों किसी कस्टमर को थर्ड पार्टी के बारे में ज़रूर जानना चाहिए.

प्रथम पक्ष बीमा के अलावा किसी भी प्रकार की हानि को तृतीय पक्ष बीमा पॉलिसी (Third-Party Policy) कहा जाता है, यानि की फर्स्ट पार्टी(कस्टमर या इंसुरेड) के गारी के द्वारा किसी दूसरे के किसी भी लोस्स को हम थर्ड पार्टी के रूप में जानते हैं. तो चलिए इसे थोड़ा डिटेल में समझते है.

क्लेम लेते समय हमे एक क्लेम फॉर्म दिए जाता है जहाँ हमे साडी जानकारी के साथ साथ ये भी इन्शुरन्स कंपनी को बताना परता है की एक्सीडेंट में किसी तीसरे को कोई डैमेज तो नहीं हुआ इसे ही हम थर्ड पार्ट डेक्लेरेशन कहते हैं।

मान लीजिये आपकी गाड़ी ने किसी दूसरे कस्टमर की गाड़ी को धक्का मारा. तो इन जनरल होता ये है की कोई भी अपनी गलती पहले नहीं मानता.इसलिए ऐसे विषयों में पुलिस को इन्वॉल्व होना पड़ता है.

पुलिस की भूमिका: थर्ड पार्टी (टीपी)पॉलिसी(Third-Party Policy).

बिना पुलिस के ये केस को सलूशन पर जाना बहुत मुश्किल होता है. इसलिए थर्ड पार्टी पालिसी (Third-Party Policy) केस जो होता है वो हमेशा एक डिस्प्यूटेड केस होता है.

इस केस में पुलिस की एंट्री होती है और या तो वो यानि की पुलिस mutually इस समस्या का समाधान कर देती है या फिर इस पर एक केस रजिस्टर होता है यानि की फिर. कोर्ट फिर पुलिस को आर्डर देता है की वो इस केस की इन्वेस्टीगेशन करे.

पुलिस फिर इस केस का इन्वेस्टीगेशन करती है और हम ये मान के चलते हैं कि गलती आपकी है.

ट्रिब्यूनल कोर्ट की भूमिका: थर्ड पार्टी (टीपी)पॉलिसी(Third-Party Policy).

अब कोर्ट फिर हमारे इन्शुरन्स कंपनी को एक सामान भेजती है और उसे कहती कि वो लोस को कम्पनसेट करे.

कार मालिक के लिए थर्ड पार्टी बीमा पॉलिसी की जानकारी क्यों बहुत जरूरी है:

आज की दुनिया में सभी कोई कहते है की उनके पास गारी हो और अगर आप एक कार ओनर हैं तो आपको अपनी गाड़ी के थर्ड पार्टी पालिसी के बारे में पता होना चाहिए,नहीं तो कभी भी आपको बहुत बड़ा नुक्सान का सामना करना पड़ सकता है. वो नुकसान जो होता है वो फाइनेंसियल होता है.

दूसरी गाड़ी को जब हमारी गाड़ी धक्का मारती है तो उस केस में उसकी गाड़ी में होने वाले पुरे एक्सपेंस को आपको उठाना पड़ सकता है और जानकारी के अभाव में लोग ऐसा करते भी हैं.

इसलिए थर्ड पार्टी पालिसी (Third-Party Policy) को जानना हमारे लिए अनिवार्य हो जाता है.

क्या क्या कवर होता है थर्ड पार्टी इन्शुरन्स में?

a. फसल का कोई नुकसान हुआ हुआ खेत।
b. तीसरे पक्ष की कार का कोई नुकसान।
c. दीवार, निर्माण स्थल आदि का कोई नुकसान।
d. जान गंवाना। मौसम के कारन होने वाले लॉस, मानव या पालतू पशु को होने वाला loss भी कवर होता है।

दिलचस्प तथ्य: थर्ड पार्टी (टीपी)पॉलिसी.

a. फोर व्हीलर कार के केस में थर्ड पार्टी पालिसी (Third-Party Policy) तीन साल के लिए पहली बार कार खरीदने पर मिल जाता है, चौथे साल से हमे थर्ड पार्टी पालिसी को रेणू करना होता है.

b. 2 व्हीलर के केस में थर्ड पार्टी पालिसी पांच साल के लिए नयी बाइक खरीदने पर मिल जाता है और छठे साल से हमे इसे रिन्यूअल करना पड़ता है.

तृतीय पक्ष बीमा पॉलिसी (Third-Party Policy) लाभ:

a. थर्ड पार्टी पालिसी रहने पर हम यानि की फर्स्ट पार्टी को बिग फाइनेंसियल लॉस से बचा लेते हैं. क्यूंकि रुपया सभी के पास सब समय नहीं होता है.

b. थर्ड पार्टी को भी इससे लाभ मिलता है अगर किसी ऑफेंडर ने उसे कम कंपनसेशन दिया होता है तो, ऐसे में वो टीउबनाल कोर्ट की सहायता लेके अपना सही और उचित कम्पन्सेशन ले है।

तृतीय पक्ष बीमा मूल्य: दोपहिया/चार पहिया वाहन के लिए।

बीमा कंपनी आपकी तीसरे भाग की पॉलिसी के नवीनीकरण के दौरान आपको बताएगी।

तृतीय पक्ष बीमा (Third-Party Policy) बनाम व्यापक बीमा पॉलिसी:

कम्प्रेहैन्सिव मोटर इन्शुरन्स लेने से बय डिफ़ॉल्ट ही उसमें थर्ड पार्टी का पालिसी (Third-Party Policy) मिल जाता है. इसके अलावा कम्प्रेहैन्सिव पालिसी में कस्टमर को भी इन्शुरन्स मिलता है और गरी का डैमेज भी कवर होता है.

नोट: फाइनेंस करवा के गारी लेने पर उस ग्राहक को कम्प्रेहैन्सिव मोटर पैकेज लेना पड़ेगा.

तृतीय पक्ष पॉलिसी बीमा जांच:

थर्ड पार्टी पालिसी कस्टमर ने ले रखी है तो ये पालिसी पेपर पर क्लियर लिखा होता है.

सस्ता तृतीय पक्ष कार (Third-Party Policy) बीमा:

चीप के चक्कर में न पड़े नहीं तो वोलंटरी एक्सेस देना पड़ सकता है. सभी कस्टमर को अपने डीलर पॉइंट से ही िन्दूरान्स लेना चाहिए. दूसरे जगहों से पालिसी रेणू करने पर बहुत बड़ा नुकसान होता है जो कस्टमर pahle नहीं समझ पाते है.

Aur Padhen..

No Claim Bonous (NCB) in (HINDI) I नो क्लेम बोनस Hindi भाषा में.

What is add on cover?

Body shop ya hota hai?

What is in third party insurance?

Life & property speicaly covered.

How much amount is covered in third party insurance?

There is no limit set for third party compensation. Ap, kya milta hai use padh sakte hain upper diye gaye headings me. Ek life loss ke case me man to man compensation amount vary karega. Suppose ek sadharan admi hai to uske dependent aur uske age ki hisab se wo aur kitna din kam karega, kya kam karta hai, increment ka parameter insabhi baton ka dhyan rakhha jata hai isliye ko limit set nahi hoti hai.

What is 1st 2nd and 3rd party insurance?

1st Party – Jiske nam se gari hoti hai usko First party kahte hai. inhe insured bhi kaha jata hai. Ye company ya koi admi ya aurat bhi ho sakta hai.
2nd Party – Ye humesa Insurance company ko kaha jata hai jo loss ko compensate karti hai.
3rd Party – 1st party(customer or insured) aur 2nd party(Insurance company or insurer) ko chorkar tisra kuch bhi third party kehlata hai.

What is disadvantage of third party insurance?,

Third party insurance ka koi disadvantage nahi hota hai. Isme lagta hai time settle hone me, kyunki ye ek disputed case hai aur ise settle hone me court ke through samay lagta hai, ye disadvantage to nahi hai.